Thursday, August 16, 2012

 दीप  ज्योतिष्मती  से  जागृत  हो  ह्रदय  मन बुद्धि  आत्मन  सवित्र  सहयोगी....स्वकर्म --स्वधर्म  निभा कर  स्वस्ति  माता  और पिता  की  सेविता --देविता -सह्योगीनि   हो।..

माँ  महेश्वरी  से दिव्य  दृष्टि  --भविष्या सम्योज्यति  कुमारियो  को  ब्रह्म  वादिनी योग  की  प्रेरिता  हो

माँ  जगदीश्वरी की अम्बे  शक्ति से  गर्भावास्नियो की  सुरक्षा  कृषि  गौरक्ष्या हो ....पालनहार गोपाला ...

माँ  सरस्वती  की वीणा  से  आरोह अवरोह  दिव्य वर्चस्व  सुरेश्वरी  भाव  वात्सल्य  हो ...

माँ नैना देवी  की  कुमारियो  के  आह्वान  से गुंजित  कृष्ण साम यशोधरा  की प्राप्य  सवित्र  दानी हो ?

माँ  से  गायत्री होम यज्ञ उपासना  में ऋषि  --रिग-यजुर -साम -अथर्व  के गुरु  उपासक-साधिका  हो  दानी ?

आज  भारत  धरा  में  रामायण  के  उपासक  वीर  रक्षित  --संजेय   की दूर दृष्टि  से  प्रेरित  हो  ?

आज  भारत में  व्यास  रचित  महाभारत  में  श्री  कृष्ण--अर्जुन  संवाद  दैविक  --भाव बुद्धि  योगी हो ....

माँ  की वसुधरा  में   सतियो  की  विनीता  की शरण्ये  त्रिअम्बके --दैवी   अभीप्सा  --धैर्या --कृति ..रुचिरा दिव्या  ..जूही ...कुमारियो  की सुरक्षा  -- वेद  --विज्ञान गुरु  अध्यापिकाओं  की पाठशाला --गौशाला  हो ....

जय हिंद  ..जय हिन्दुस्तान  --सपनो  की उम्मींद  जगाओ ....
सर्व शिक्षा अभियान  देवियों को   शिक्षा  की आयाम  - में   माँ   के  ब्राह्मण सरस्वती  --सहयोग  पुनः ...

शांतिः   देवी  ..समां   रेधी ...विश्वानि --आर्यानी ...भवानी  ..रापः....पृथ्वी ..वनस्पतिः ...औषधि  -वैद्या -धनं )

Saturday, July 7, 2012

अमर्त्य  वीर पुत्र  --उत्कृष्ट --तुम--अभ्युदय  गुह्य -- सवित्तुर -- आत्मनामास्तु  ध्यानमें अग्रसर  चरैवेति  --चरैवेति  बढे चलो....

स्वर्णिम  दिव्य---ज्योतियों ने  श्रुतियों से आव्हान  आभास्वर कर  शिव--अनाहद के-- कृष्ण -परमात्मा  पुकारा ....मीरा  के   अनकहे  भावों  में  --विस्तार  करे  ...माँ के  भक्ति  भरे  नैनो  में....

लेकिन  प्रथम--वागीश्वरी  केस्त्रोत   सारस्वत  -ब्राह्मणों  अनय श्री --गणेश  नमः  स्तुति नमन  पुने ...!!!
गुरु  माता -पिता  के  ध्यान से  सूर्य -सवित्तुर  देवों  ने  आर्य -समाज यज्ञ -होम -वेद -मन्त्र--श्लोक दान भरे ...

अग्रिम --आदित्याये  नमः  के देवों  से  --भगिनी  और  भाग्नेया वर  सत्य निभाए  ....स्वकर्म---धर्म से अभियंताओं  के  आदर्श  -वीर -विनीत  अजन्म  में   अनुज --मनुज -बंकिम   के भाग पुण्य --वर्दान्  देते

कुमाऊ  और गढ़वाल  के  गोपाला  --ग्वालों ने   --मैनांक के  कुरमा  --गणों से  --पाठशाला  स्वाध्याय करा  ....
आज के युग  में -- राम -रक्षक  -- हमारे  पुलिस -वीर  कर्म दक्ष  जोड़ते   भाग्नेया  तेजस्वी  हनुमते  --वीर्य -बल--बुद्धि  --राजसी  --प्रशासन  में धीर ....?

नानाजी  के  गुरु -देव -- आश्रम -संरक्षक --कृषि पाल  जोड़ते  --सुगंधिम---पुष्टि वर्धनम  ..अन्नं -दाता ....

नानी माँ   भाव -वात्सल्य  अव्यक्ति  में  परा सुवा  सुरेश्वर  -सुरेशं  -वर गेय -संगीत  से दे सकती ....

अग्रिम  -मनु   के देव   से पहले  सँजय की  माँ    से -- आदर्श --सेवा  --शिक्षा  -स्वदेश  के  अधिकार  हों  ?
जैसे  की  महर्षि  दयानंद  के देवों  से  अर्जुन की  माँ ने  स्नेहमय  रिश्ते  बांधे ....

अधिकारों  में--- अध्यापकों  से  अध्यात्म  के उज्जवल   दीप   प्रगट --साक्षात्  द्रिक -- सरस्वती  माँ  के ध्यान   --गुरु -दीक्षा  हों ... !!!

आज  धरा  में  एकता  के   --दीप  जागते --माँ   की   साधना  --उपासना  --आत्म---विद्या  से  उप सृजा  ...
आज के  आधुनिक युग में---- हिन्दू---मुस्लिम --सिख  --इसाई --जैन   -बुध  समुदाय से   अध्यापिकाए  जागृत हो  ?
जागृत  --अरथात  --स्वदेश --विदेश्   --संस्कृति  --संस्कारों  से  जोड़ते  --श्री माते  की  विभूतियाँ  --
भारत  के स्वप्न   में  उत्तर --दक्षिण  --पू रब --पश्चिम  --हिमालय से जोड़ते   --दीपों की  स्वर्णिम  आशाएं ?   भाषा  --शब्द  -वाक --रिग--वेद -मन्त्र--श्लोक---रामचरितमानस   --और  भगवद्गीता  के  गण -देवता -देविया   के   आरोह--- अवरोह ....नादेश्वर  .--आदि  ---
समय  --महीना  --साल --वर्ष  -- अयान --आयुष्मान  भाव  --आशीर्वाद  के  कवि ---श्रोता  -भक्त  देव ?

सर्व--प्रथम   मनु--- भृगु  से पहले  पूज्यनीय   --माता  पारवती और   पिता भागीरथ  के गंगा देव  ....?

सर्व--प्रातः  --सुप्रभात  के  अनादी---देव  --आह्वान  के  गायक---शिष्य  --शिष्या   ? (विरासत ? )

वासुदेव के    प्रथम उपासक  --गोपाल  देव  ---के  गोकुल---दूध -दही --मक्खन --पालनकर्ता  हार ?

सर्व--प्रथाम -- मंगलम --भगवान्  विष्णु  के   समुद्र --मंथन  में लक्ष्मी देव --पुद्दुचेरी  से  --आशीर्वाद -
?  तात --माते  के नारद  --श्रुत  -नाद देवों  से  बहुत -विनती --नमस्कार  जोड़े ....
 आज  उत्कृष्ट की नानी  को  --हां  भाषा  में --चीन  --चुनौती   --की   नूडल्स  -मोमो  चौ--मीन की युक्तिहाई   ...?  या  वैज्ञानिक   -देवों के   --ई--मेल  से  आई -फ़ोन  --आई -pad ..   ..telecom --अमंत्री ?

अग्रिम नाना जी  के  देव  --गढ़वाली  -और  अवध --उत्तर--प्रदेश  के  कृषि अधिकारीयों  सहित --वल -बल-- होम देगे    ....यह प्रश्न  --सारे   देश  के अध्यापिकाए   और अध्यापकों  से   उत्तर की  अभीप्सा  है  ....!!!
 






Wednesday, June 27, 2012

आध्यात्मिक  शिक्षा के  आदर्श  स्रोत -उपदेश --प्रेरणादायक   लेखनियो से :--

'' शिक्षा का मुख्य  उद्देश्य होना चाहिए --विक्सित होती हुई आत्मा को  अपने अन्दर से सबसे अच्छी अभीप्सा को निकलने  और उसे उदात्त उपयोग के लिए पूर्ण रूप में सहायता  करना चाहिए ...."
शिक्षा का नया उद्देश्य है बालक को बौद्धिक , सौंदर्य , बोधात्मक,  भावआत्मक,  नैतिक,  आध्यात्मिक सत्ता और उसके सामुदायिक जीवन और आवेशों को उसके अपने स्वभाव और क्षमताओं  में से विकसित  करना ....(  महर्षि औरोबिन्दो  और श्री माते )


'' मनुष्य के द्वारा दिए गए ईश्वर के नामों में सर्वश्रेष्ठ नाम सत्य है ....सत्य भगवत्प्राप्ति का फल है  ....
अतः  उसे अपनी अंतरात्मा के भीतर खोजो ...श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को उपदेश में  कहा --प्रकृति के द्वंदों  से परे हो जाओ ....दूसरों की सहायता करने के लिए --सम्प्रदाय , औपचारिकता और कर्मयोगी की  योग्युक्तियों  से उपयोग करो ...परन्तु सावधान रहो की यह बंधन न बन जाये  ...?
स्वधर्म  एक हो  लेकिन साधना  में अनेकता होनी चाहिए ...दूसरे धर्मों में कोई त्रुटी न देखे....एकता में अनेकता  के दैवी  सूत्र  बंधे  - भाव हो --  ?
यदि उस प्रकाश का दर्शन चाहते हो  तो  शब्दों  और  रीती रिवाजों  की  अन्धता से परे ...भगवान् के  अमृत को   छक कर  पियो .....(     स्वामी  विवेकानंद के भाष्य )

स्वात्म --अध्याय  और  नोस्टिक --सेण्टर  -की  वर्कशॉप  --श्रुति  --के  अनुभव से  योगी --नाद के  मन्त्र :-
The Awakening Ray published in theyears 1997-98-99....?

श्रद्धा  आम   प्रातर --हवामहे ;
श्रध्दां  मध्यम दिनं परि ;
श्रद्धाम सूर्यस्य निम्रुची ;
श्रद्धे  श्रद्धा पयेह नह ....11
( ऋग्वेद --10-151.5 -->? प्रसंग )
---------------------------------------

बृहत्  साम  गायत्री  छन्द  श्लोक  मन्त्र  --उच्चारण :--( यज्ञा = कुलाची हंसराज विद्यालय )
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------

ॐ भूर --भुवः स्वः   तत -सवित्तुर  वरेण्यआ भर्गो  देव +अस्य धी मही  ...धी यो यो नह प्रचोदयात !!!
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------

त्रिअम्बकेश्वर  शिव  के  ब्रह्म --विष्णु  --महेश  ( नाशिक --में  श्री लाज किशन मेहरा पिता को वरदान )

हरी  ॐ  त्रिअम्बकम  यजा मही --सुगंधिम  पुष्टिवर्धनम  --उर्वारुकमिव  बन्धनात  मृत्युर मोक्षीय मामृतात !!! "---------------------------------------------------------------------------------------------------------------

सर्व --धर्म  --समुदाय  प्रार्थना --वंदना --के मन्त्र  --श्लोक : नमन --मनन  श्रवण :--
 ॐ सहनाववतु  --सहनौ-भुनक्तु  --सहवीर्यं  --करवावहै --तेजस्वी --नाव धीत  मस्तु --माँ विद्विषा वहई !!!
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------

ॐ  शांतिः अन्तरिक्ष -ग्वं ...शांतिः  पृथ्वी ....शांतिः विश्वेदेवाः  ....शांतिः  वनस्पतयः .....शांतिः  औषधयः .....शांतिः देवी ......शांतिः सामा .....शांतिः  रेधि .....शांतिः  रापः ....शांतिः  रेवा .....ॐ शांतिः .............................--------------------------------------------------------------------------------------------
 ॐ पूर्ण मदः  ...पूर्ण  मिदं  ....पूर्णात --पूर्ण मुदच्यते ....पूर्णस्य पूर्णमादाय ....पूर्नमेवा ....वाशिश्यते ....!!!..........-----------------------------------------------------------------------------------------------------
एक्योमकार --सतनाम --अकाल  मूरत  --निरभौ-- निर्वैर -- अजूनी-सैभं  --गुर प्रसाद .... !!! अमृत सखा वर ?
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------

बिस्मिल्लाह उर्रहमान  -- रहीम --( अजान --सूफी --दुआ -- मुराद --मन्नतें --एक नूर से ...नेहदिया ...!!!
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------

O THOU --who art the source of all love and light  ...whom we cannot know in thyself   ...yet can manifest thee ever more  ..with aspirations and  ardent  prayers  in heart  and soul  and life .... "  ( The Mother 's prayers ) mariam को वर ....!!!
-----------------------------------------------------------------------------------------------

नमो नमो सिद्धाणं  --नमो नमो वर सिद्धाणं ( जैन  धर्म के  श्वेताम्बर ) !!! आशु मंगला कोवर ?
------------------------------------------------------------------------------------------------

नाम यो हो रेंगे  क्यों ....जप  --( कोसेन रूफू )  ??? 
--------------------------------------------------------------------
उमा  महेश्वर सिद्ध मन्त्र --माँ  जस्वन्ती मेहरा को वरदान ) :=
नमस्ते शरण्ये  शिवे सानुकम्पे  --नमस्ते जगत्द्वंद --पादर विन्दे .....नमस्ते जगत्तारिणी त्राहि दुर्गे !!!

विनीता भगिनी  को वरदान :-- पुनः ?--जय --जय हे  --देवी जगदम्बे  --मंगल कारिणी हे जग जनिनी !!!
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

सर्व --मंगल मांगल्ये  --शिवे सर्वार्थ साधिके  --शरण्ये  त्रिअम्बके --महागौरी --नारायणी --नमोस्तुते  !!!
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------
विनीता की सखियो -- को माता वैष्णो देवी के साध--आराध्य  --श्रुत--स्तुति ---स्मृति ....धैर्या ....
बिन्दू ....ज्योति ...बबिता ...मोना .... मोनिका ...रित्तु ....सुनीता ...वंदना .....
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------






Thursday, June 21, 2012

दूरदर्शन  --टेलि विजन  में काल्पनिक  नाटक --कहानियाँ 

भारत  देश में  महिलाओं  या   स्त्रियों  को  अभी तक  पचास प्रतिशत  संवैधानिक  अधिकारों के  नेतृत्व आरक्षण  की स्वीकृति प्राप्त   हेतु कोई भी  न्याय  --या -कानूनी  बिल पास नहीं हो पाया है  ?

खैर,  लेकिन  काल्पनिक  या  नाटकीय  दुनिया --संसार में  महिलाओं  या  स्त्रियों  को अनेको प्रकार के  ''रोल '' या किरदार  निभाने के लिए  बहुत से अवसर  दिए जाते हैं  ....उदाहरण के  तौर पे  यदि आपने  देखा -- महारानी लक्ष्मीबाई  के ऐतिहासिक  नेतृत्व  को  एक ऐसी नारी  के अंतर्द्वंद  में  बखूबी   दिखाया  गया  .......जिसमे  एक   आदर्श  पुत्री ,  पतिव्रता स्त्री ,  स्नेहमयी भगिनी  , और  वात्सल्य भरी माँ  के  परिपेक्ष्य  में  प्रस्तुत किया  .....( परन्तु   साथ में  हजारों  विज्ञापनों से  भी फायदा  लिया गया )  !

जहाँ एक ओर -- नारी  की समृद्धता  --कर्म --कुशलता  गणपति बाप्पा  के आशीर्वाद से  अर्चना और मानव के किरदारों से  देखा  गया ...दूसरी  ओर -- अत्यधिक  भावुक  और  संकीर्णता  में उनकी  भगिनी  वंदु का शोषण ...?  और छोटी बहन  वर्षा को   --संतान को गोद  लेने में  --बहुत सी  रूकावटे  ...?  यहाँ  अबोर्शन  का  घृणित  स्वरूप  दिखाया  गया ....

राम मिलाई जोड़ी  में  गुजराती  और पंजाबी  परिवारों  को  जातिवाद -कुल--भेद से ऊपर उठ कर  नव --विवाहित  दाम्पत्य  जीवन  में   आर्थिक  समस्याओं  को  भी प्रश्न  उठाये (  पारिवारिक ) ....जैसे की  घर  में   रह के  --सिलाई --कड़ाई   व्यवसाय  इत्यादि  ... ( आपसी  रिश्तों  में  बुआ --फुई -ननद  की  इर्ष्या भी ...?)  लेकिन  , कहानी --नाटक के बीचमें   --मुख्य  ''अभिनेता  को बदल  दिया जाता हैं ....और नए  रोल  में ...?
उसके बाद जब  लेखकों ने  सास माँ के अतीत से  दूसरा  किरदार प्रस्तुत किया  --तब से  उन्हें  देखना  ही बंद किया .... क्युकी  ननद  ने   भाभी से  बदले  लेने शुरू कर दिए .....

चतुर्वेदी परिवार  में  बड़ी सास  नहीं लेकिन  फिर भी   बहू  --टोसती  में कई  गुण  ऐसे है --जिनसे वह पारंपरिक   रूप से  सभी  तरह के  कार्य--क्रिया--कुशलता से  बड़े  ससुर -और दादा जी  का मन  जीत लेती है  ? ....लेकिन   क्या   नौकरी छोड़ देने  से   --और घरेलू  --काम  करने से  ही  गृहस्थ  सुख की कुंजी है ?
और  सबसे बड़ी  बहु की माँ  इतनी  --ईर्ष्यालु  क्यों है  ?  और  छोटी  बहू  --नीतिका  से  निजी -सुख  के त्याग की   बहुत  बड़ी  अपेक्षाए  हैं ...?   आर्थिक  समस्याओं  में   निजी  व्यवसाय  से लेकर   दूसरों की नौकरी ...?

 क्या  आपको    ''अफसर  बिटिया  के   घरेलु  , और  सामाजिक  शोषण  के बारे में मालूम है ...?  
 बिहारी   मध्यमवर्गीय  परिवार की  बेटी  --आईएस  --PCS --राज्य के  प्रशासन  में  अफसर  बनने  की तैयारी   करने के बाद   शादी के सूत्र में  बांध दी गयी है  ...उसे   अपने   क़ाबलियत  में   प्रशासनिक  कार्यों को भी   नित्य  कर्तव्य  कर और सास  का -ह्रदय-- दिल -- गृह अस्थ  में भी  जीतना  है ...?  

 सो , यह  कुछ   छवियाँ  --साकार --काल्पनिक   संसार    से  हमारे  जीवन  के अनेकों   गृहणियों के  मन , 
ह्रदय  , दिल,  भाव  , और जज्बातों को छू लेती हैं  ....?  परन्तु ,  शायद  दिनचर्या   में  अनेको ,  बहुत  सारे  
 नित्य  --असली  --गुनी   -व्यवहारों को  निभाते  हुए -- महिलाएं   --स्त्रियाँ  --कुमारियाँ   ...अपने  सपनों   को   साकार --सगुन  --सार्थक  -सक्षम  होते   देखना  चाहेंगी  ...?
और यदि  ... देख रही है की  --भगवान्  को   फूल --फल  -धुप --दीप  समर्पित  कर के   दुआ  -प्रार्थना  पूरी होने   लगती है तो -- सोने पे सुहागा  ... है ना ?

लेकिन , यथार्थ में ... सभी  पुत्रियों के  पिता -- इतने दयालु  ,  विस्तृत  बुद्धि  को बढ़ावा  देने वाले न होते ? 
या ,  सभी  पत्नियों के   पति देव  इतने  --गुनशील --संवेदनशील  न होते  ....
या   सभी  बहनों के  भाई  बहुत   संस्कारी ,  वीरबाहू वाले ,  उच्च  बुद्धि के धीर  न होते  ..? 

ऐसे में    , प्रधान  मंत्री , मुख्या मंत्री ,   राष्ट्रपति  के  ऐसे   बड़े  नेतृत्व-- जन के उदाहरण है -- जिनसे  -- 
हमारे   नित्य --जीवन में   --कुछ  आशा  की किरणे   जगाने   को अभी बहुत से ख्वाब --सपने  बाकी हैं ?

 






Tuesday, April 3, 2012

जिस देश में  गंगा बहती  है  !
अविरल, तरल --तरंगे , कल-कल निनाद ,  शिवे--शैल - सुखे,   गौमुख उद्गम से ....
ऐसा  अनेको संतों  और कवियों की  भाषा में  पढ़ते  आये  है  !-- हर हर गंगे की महिमा !
यदि भारतीय  सृष्टि  की कन्याकुमारी  पुत्रियों  के सृजनआत्मक  रीतियों को देखें , समझे ...
और गंगा  के आदि--उद्भव  की स्मृतियों को  ध्यान दें -- इतना ही नहीं  , वरन गंगा के गुणों  की व्याख्या  में
अपने  भारतीयता के गुणों को  आत्मसार करे  , सो येही पाएंगे  की  भारतीय  पुत्रियों के गुणों  में  गंगा जैसे
तत्व  -सत्व --निराकार से  मकार होते हुएय  दीखते हैं ....संवेदनशीलता -- सर्वप्रथम अपने  पिता के रिश्ते  में ,
परमआत्मा , भगवान , ईश्वर  के  पूज्यनीय  दैविक  -पुरुष  आदि के  गूढ़ रहस्य  को  साकार स्वीकारना  सीखना ;  आज्ञाकारी  होने  से  --अहंकार ,  मद ,  को  ऐसे  मन--बुद्धि  के स्वाध्याय में  ,विचारों की गहनता में परिवर्तित  कर लेना ; जैसे  कि-- माता कि  सरस्वती  साधना को भी  सयुज -यज्ञ  कृति  सहयोग मिले .....!

अपने भाग्नेया ( भाई )  के रिश्तों में  -- सहज  सस्नेह -सतप्रेम  के  विशुद्ध भावों  को वीरता  के आदर्श में ,
आपसी   मतभेद को  मृदुल  विचारो -भावों से  कठिन  परिस्थितियों में भी   सहज -शांतप्रियता  से स्वीकारना ,
कि  यदि -- पौरुष --या  मनुष्य के  कठोर  --क्रूर  - पशुता को  परिवर्तित   करना है तो  माँ  के जैसे  ही  --अपने स्वात्म--अहम् को   गंगा के पानी जैसा -- निर्मल --विशुद्ध , पवित्र , और कोमल   भवानी होना होगा ....!
 फिर चाहे - भौतिक  सुखों  में भोग -वृत्ति को  त्यागना  पड़े  या  सांसारिक --एंद्रियों को  आत्म-वश कर के ,
हर नए दिन , हर नए  पारिवारिक ,  सामाजिक  , समस्याओं को सुलझाने में तत्पर --तैयार -स्वावलंबी  रहना ....!

अनेको  धार्मिक ग्रंथों  और  आध्यामिक  गुरुओं ने भी  --जल --पानी  के तत्व  को  --प्रकृति  में --नदियों के
रहस्यमय  जीवन को  माँ  कि शक्ति का आधार यानि  दैवी  -गुणों से  भरपूर   जाना -समझा -- और   शिव  के उपासक तो गंगा को   शिव  कि  जटा    में संयंत्रित  --पुत्री  कि भाँती  -- अपने अमृत तत्वों से  मनुष्यों का   उद्धार करने वाली  जननी  भी  स्वीकार  किया है ....
आज के कलियुग में हमे  --उसी  --माँ कि  अमृत शक्ति  कि  निर्मल -धारा--- विशुद्ध -पावनी --शिव कि शिवानी  को   अपने अन्दर   कि मात्रि--सृजनात्मक  भाव विभूतियों  के द्वारा जागृत --आत्मसार --स्वीकार करना ही  होगा ... यदि   सम्पूर्ण  विश्व  में  वसुधैव  -- कुटुंब   के  -तत-सवित्तुर --सूर्या -- पुत्रों -पुत्रियों  को भी
सृजन --सृष्टि --की--रचनात्मक  विशक्तियों   सहित परिवर्तित -करते रहना है ...और विनाश कारी--अस्त्रों --से  भरे  विश्व को  परिवर्तन   करे  --शांति --संवेदना --मृदु --सरलता --दैविक -सौन्दर्य -बोध --ममतामयी
--करुना --वात्सल्य की प्राथमिकता  जैसे  गंगा  तत्व -आधार से  ...???
अपने  स्वजनों  --भगिनी --भाग्नेया  बंधू--बांधवों  से  सर्वप्रथम येही  --रचनात्मक --सृजन की अभीप्सा है !!! 
सम्पूर्ण