Sunday, May 5, 2013

                                   नव -चेतना के अंकुरित बीज
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 उपश्रीजित --आकाश  --लाता है सन्देश --नए बादलों  के समूह से  --वर्षा का आगमन !

भूतले  --पृथ्वी  के  कृशिवान ---धूप  में तपती  हरियाली के अंक़ुर  बोते  !

नव--सृजन की अभीप्सा से  --उपजे  शत -दल  औषध  के  भी  होते अंकुर ....

हे  किसान   अभी से  कमर --कस  के तैयार  हो  अनाज को  छाटने ....

दिव्य--कृष्ण  के गोपाला  भी  हरदिन --गौमाता की यशोदा की  दधि --सींचते ....

बहेंगी  --ब्रह्माण्ड  की गंगा  --से  --ओजस --बीज अंकुरित होंगे  ?

यहाँ  धरा  की  विधवा माताओं - की लाज भी  रखनी  --कृष्ण--भक्तों ने  ....
क्यूंकि  पुलकित सम्बोधि  के वीरों ने  अध्यात्म--तापस  सहज दिया ....

यहाँ धरती की कला--कुलवंत माँ ने भी  मृदुल--कथा वाचक को ''यशोदा --धनं --दान दिया ....

इसलिए --सभी की नैना --अँखियाँ  --खोजती --उस -कृष्ण के साक्षात्कार  को .....!!!

सुमन माँ की वीरांगनाओ ने  ---धैर्या--द्रवित हो--रुद्रा के कष्ट  को  सहा ..सहज ...

अब  सावित्र --पुत्रोंमें  -माँ दर्शन  की मृदु--वागिनी ---माते के भक्तो को  देंगी --भोज !!!

आर्य --आर्ष --के विदीश्वर  --देवों  ने गायत्री  माँ की  दुविधा में  बीजन --पुनः  देना होगा ?

नव सृजन  --की चेतना  सभी  --जागृत  --ज्योति --पाण्डेय की बलि  मत भूलना ....

बहुत  --दुखी  मन  से  ---स्त्री -नारी --महिला  की  आत्मा --रूह  अनेको  चेतना के बीज लाएगी ?