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Wednesday, June 27, 2012

आध्यात्मिक  शिक्षा के  आदर्श  स्रोत -उपदेश --प्रेरणादायक   लेखनियो से :--

'' शिक्षा का मुख्य  उद्देश्य होना चाहिए --विक्सित होती हुई आत्मा को  अपने अन्दर से सबसे अच्छी अभीप्सा को निकलने  और उसे उदात्त उपयोग के लिए पूर्ण रूप में सहायता  करना चाहिए ...."
शिक्षा का नया उद्देश्य है बालक को बौद्धिक , सौंदर्य , बोधात्मक,  भावआत्मक,  नैतिक,  आध्यात्मिक सत्ता और उसके सामुदायिक जीवन और आवेशों को उसके अपने स्वभाव और क्षमताओं  में से विकसित  करना ....(  महर्षि औरोबिन्दो  और श्री माते )


'' मनुष्य के द्वारा दिए गए ईश्वर के नामों में सर्वश्रेष्ठ नाम सत्य है ....सत्य भगवत्प्राप्ति का फल है  ....
अतः  उसे अपनी अंतरात्मा के भीतर खोजो ...श्री कृष्ण ने भी अर्जुन को उपदेश में  कहा --प्रकृति के द्वंदों  से परे हो जाओ ....दूसरों की सहायता करने के लिए --सम्प्रदाय , औपचारिकता और कर्मयोगी की  योग्युक्तियों  से उपयोग करो ...परन्तु सावधान रहो की यह बंधन न बन जाये  ...?
स्वधर्म  एक हो  लेकिन साधना  में अनेकता होनी चाहिए ...दूसरे धर्मों में कोई त्रुटी न देखे....एकता में अनेकता  के दैवी  सूत्र  बंधे  - भाव हो --  ?
यदि उस प्रकाश का दर्शन चाहते हो  तो  शब्दों  और  रीती रिवाजों  की  अन्धता से परे ...भगवान् के  अमृत को   छक कर  पियो .....(     स्वामी  विवेकानंद के भाष्य )

स्वात्म --अध्याय  और  नोस्टिक --सेण्टर  -की  वर्कशॉप  --श्रुति  --के  अनुभव से  योगी --नाद के  मन्त्र :-
The Awakening Ray published in theyears 1997-98-99....?

श्रद्धा  आम   प्रातर --हवामहे ;
श्रध्दां  मध्यम दिनं परि ;
श्रद्धाम सूर्यस्य निम्रुची ;
श्रद्धे  श्रद्धा पयेह नह ....11
( ऋग्वेद --10-151.5 -->? प्रसंग )
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बृहत्  साम  गायत्री  छन्द  श्लोक  मन्त्र  --उच्चारण :--( यज्ञा = कुलाची हंसराज विद्यालय )
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ॐ भूर --भुवः स्वः   तत -सवित्तुर  वरेण्यआ भर्गो  देव +अस्य धी मही  ...धी यो यो नह प्रचोदयात !!!
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त्रिअम्बकेश्वर  शिव  के  ब्रह्म --विष्णु  --महेश  ( नाशिक --में  श्री लाज किशन मेहरा पिता को वरदान )

हरी  ॐ  त्रिअम्बकम  यजा मही --सुगंधिम  पुष्टिवर्धनम  --उर्वारुकमिव  बन्धनात  मृत्युर मोक्षीय मामृतात !!! "---------------------------------------------------------------------------------------------------------------

सर्व --धर्म  --समुदाय  प्रार्थना --वंदना --के मन्त्र  --श्लोक : नमन --मनन  श्रवण :--
 ॐ सहनाववतु  --सहनौ-भुनक्तु  --सहवीर्यं  --करवावहै --तेजस्वी --नाव धीत  मस्तु --माँ विद्विषा वहई !!!
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ॐ  शांतिः अन्तरिक्ष -ग्वं ...शांतिः  पृथ्वी ....शांतिः विश्वेदेवाः  ....शांतिः  वनस्पतयः .....शांतिः  औषधयः .....शांतिः देवी ......शांतिः सामा .....शांतिः  रेधि .....शांतिः  रापः ....शांतिः  रेवा .....ॐ शांतिः .............................--------------------------------------------------------------------------------------------
 ॐ पूर्ण मदः  ...पूर्ण  मिदं  ....पूर्णात --पूर्ण मुदच्यते ....पूर्णस्य पूर्णमादाय ....पूर्नमेवा ....वाशिश्यते ....!!!..........-----------------------------------------------------------------------------------------------------
एक्योमकार --सतनाम --अकाल  मूरत  --निरभौ-- निर्वैर -- अजूनी-सैभं  --गुर प्रसाद .... !!! अमृत सखा वर ?
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बिस्मिल्लाह उर्रहमान  -- रहीम --( अजान --सूफी --दुआ -- मुराद --मन्नतें --एक नूर से ...नेहदिया ...!!!
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O THOU --who art the source of all love and light  ...whom we cannot know in thyself   ...yet can manifest thee ever more  ..with aspirations and  ardent  prayers  in heart  and soul  and life .... "  ( The Mother 's prayers ) mariam को वर ....!!!
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नमो नमो सिद्धाणं  --नमो नमो वर सिद्धाणं ( जैन  धर्म के  श्वेताम्बर ) !!! आशु मंगला कोवर ?
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नाम यो हो रेंगे  क्यों ....जप  --( कोसेन रूफू )  ??? 
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उमा  महेश्वर सिद्ध मन्त्र --माँ  जस्वन्ती मेहरा को वरदान ) :=
नमस्ते शरण्ये  शिवे सानुकम्पे  --नमस्ते जगत्द्वंद --पादर विन्दे .....नमस्ते जगत्तारिणी त्राहि दुर्गे !!!

विनीता भगिनी  को वरदान :-- पुनः ?--जय --जय हे  --देवी जगदम्बे  --मंगल कारिणी हे जग जनिनी !!!
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सर्व --मंगल मांगल्ये  --शिवे सर्वार्थ साधिके  --शरण्ये  त्रिअम्बके --महागौरी --नारायणी --नमोस्तुते  !!!
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विनीता की सखियो -- को माता वैष्णो देवी के साध--आराध्य  --श्रुत--स्तुति ---स्मृति ....धैर्या ....
बिन्दू ....ज्योति ...बबिता ...मोना .... मोनिका ...रित्तु ....सुनीता ...वंदना .....
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