Thursday, January 17, 2013

एक  सूर्यांश सवित्तुर के प्रगट  होने की अभीप्सा है .....
ऐसा दिव्य --आत्माओं ने  श्रुत -आह्वान  से अनादि  -नादेश्वर  को पुकारा ..
प्रगट होने के पश्चात ...दिव्य --ज्योत सादृश्य  हमारे हृदयों में अति हर्ष ले आये ...
ऐसा वात्सल्य भाव की देवियों ने माँ जगदम्बे से हिरण्यगर्भ  को आधार  ग्रहण किया ....
पृथ्वी --भू गोलोक के वासुदेव कुटुंब ने  दिव्य-पुत्र-पुत्रियों की सुरक्षा  के उपाए बुने ....

अन्नपूर्णा माँ से भू -के कृषि -किसानों  ने सूर्य -अग्नि  अर्चित कर्म संभाले ...

सरस्वती माँ के स्तुति-वृन्द --गान के सुरों में नव -कोंपल -वल्लव्रिभि  अवतरित हुएय ...

ब्रह्मचर्य के  विद्यार्थियों  की उपासना --उपनिषद्  स्वाध्याय  सत्कृत्य  जगे ....

ऐसे दिव्य-आत्मन ...सूर्य- सवित्तुर ...अनादि-निधन विष्णु ....माँ जगदम्बे के सहस्त्र योगिनो
द्वारा  ..हमारे भू -गोलोक में प्रवेश हुआ  ..उत्तथ्या के शत-सौ सवित्त्र पुत्रों के जन्म ....

लेकिन ...वर्ष --साल पूर्ण होते ही ...महामृत्युंजय शिव की परीक्षा में  मृत्यु कोप से  भू -गोलोक के अभय --वीरों  को भी  परीक्षा देनी  होगी ?
क्या सुदर्शन -काल चक्र में अभिमन्यु को सही रण -नेति सीखनी होगी ?
वासुदेव --सुतम ..धैवं --कंस चारुण  मर्दनम ....
माँ यशोधरा की कन्याकुमारियों  को भी  ब्रह्मचर्य -व्रत धारण करना होगा ....?
माँ जगदम्बे की शक्ति  में  भारत के गुरुओं  में अग्रिम  -पहला ऋग्वेद यज्ञा होम सत्य से पूर्ण हो ?

रामायण के सतयुग के आगमन में माता जानकी वंदन की  धरती में प्रकोप भू -वंटन के लिए ?

महर्षि  वशिष्ठ के आश्रम में  पले  लव -कुश को भी  पुरुषोत्तम  राम की  व्याख्या पुन देना होगा ?

महर्षि  औरोबिन्दो के आश्रम में  श्री माते के देवों को भी अमर्त्या  और मृत्योर्माया --अमृत तत्त्व  के मुख से जीतना होगा ...
सावित्री के  सौ -शत -पुत्र  पिता  और ससुर के लिये ...?
 वन्दे मातरम् .....क्या माँ के प्यार वात्सल्या --भाव की भी कोई  भू -रेखा सीमा में बंधी ?