Thursday, June 21, 2012

दूरदर्शन  --टेलि विजन  में काल्पनिक  नाटक --कहानियाँ 

भारत  देश में  महिलाओं  या   स्त्रियों  को  अभी तक  पचास प्रतिशत  संवैधानिक  अधिकारों के  नेतृत्व आरक्षण  की स्वीकृति प्राप्त   हेतु कोई भी  न्याय  --या -कानूनी  बिल पास नहीं हो पाया है  ?

खैर,  लेकिन  काल्पनिक  या  नाटकीय  दुनिया --संसार में  महिलाओं  या  स्त्रियों  को अनेको प्रकार के  ''रोल '' या किरदार  निभाने के लिए  बहुत से अवसर  दिए जाते हैं  ....उदाहरण के  तौर पे  यदि आपने  देखा -- महारानी लक्ष्मीबाई  के ऐतिहासिक  नेतृत्व  को  एक ऐसी नारी  के अंतर्द्वंद  में  बखूबी   दिखाया  गया  .......जिसमे  एक   आदर्श  पुत्री ,  पतिव्रता स्त्री ,  स्नेहमयी भगिनी  , और  वात्सल्य भरी माँ  के  परिपेक्ष्य  में  प्रस्तुत किया  .....( परन्तु   साथ में  हजारों  विज्ञापनों से  भी फायदा  लिया गया )  !

जहाँ एक ओर -- नारी  की समृद्धता  --कर्म --कुशलता  गणपति बाप्पा  के आशीर्वाद से  अर्चना और मानव के किरदारों से  देखा  गया ...दूसरी  ओर -- अत्यधिक  भावुक  और  संकीर्णता  में उनकी  भगिनी  वंदु का शोषण ...?  और छोटी बहन  वर्षा को   --संतान को गोद  लेने में  --बहुत सी  रूकावटे  ...?  यहाँ  अबोर्शन  का  घृणित  स्वरूप  दिखाया  गया ....

राम मिलाई जोड़ी  में  गुजराती  और पंजाबी  परिवारों  को  जातिवाद -कुल--भेद से ऊपर उठ कर  नव --विवाहित  दाम्पत्य  जीवन  में   आर्थिक  समस्याओं  को  भी प्रश्न  उठाये (  पारिवारिक ) ....जैसे की  घर  में   रह के  --सिलाई --कड़ाई   व्यवसाय  इत्यादि  ... ( आपसी  रिश्तों  में  बुआ --फुई -ननद  की  इर्ष्या भी ...?)  लेकिन  , कहानी --नाटक के बीचमें   --मुख्य  ''अभिनेता  को बदल  दिया जाता हैं ....और नए  रोल  में ...?
उसके बाद जब  लेखकों ने  सास माँ के अतीत से  दूसरा  किरदार प्रस्तुत किया  --तब से  उन्हें  देखना  ही बंद किया .... क्युकी  ननद  ने   भाभी से  बदले  लेने शुरू कर दिए .....

चतुर्वेदी परिवार  में  बड़ी सास  नहीं लेकिन  फिर भी   बहू  --टोसती  में कई  गुण  ऐसे है --जिनसे वह पारंपरिक   रूप से  सभी  तरह के  कार्य--क्रिया--कुशलता से  बड़े  ससुर -और दादा जी  का मन  जीत लेती है  ? ....लेकिन   क्या   नौकरी छोड़ देने  से   --और घरेलू  --काम  करने से  ही  गृहस्थ  सुख की कुंजी है ?
और  सबसे बड़ी  बहु की माँ  इतनी  --ईर्ष्यालु  क्यों है  ?  और  छोटी  बहू  --नीतिका  से  निजी -सुख  के त्याग की   बहुत  बड़ी  अपेक्षाए  हैं ...?   आर्थिक  समस्याओं  में   निजी  व्यवसाय  से लेकर   दूसरों की नौकरी ...?

 क्या  आपको    ''अफसर  बिटिया  के   घरेलु  , और  सामाजिक  शोषण  के बारे में मालूम है ...?  
 बिहारी   मध्यमवर्गीय  परिवार की  बेटी  --आईएस  --PCS --राज्य के  प्रशासन  में  अफसर  बनने  की तैयारी   करने के बाद   शादी के सूत्र में  बांध दी गयी है  ...उसे   अपने   क़ाबलियत  में   प्रशासनिक  कार्यों को भी   नित्य  कर्तव्य  कर और सास  का -ह्रदय-- दिल -- गृह अस्थ  में भी  जीतना  है ...?  

 सो , यह  कुछ   छवियाँ  --साकार --काल्पनिक   संसार    से  हमारे  जीवन  के अनेकों   गृहणियों के  मन , 
ह्रदय  , दिल,  भाव  , और जज्बातों को छू लेती हैं  ....?  परन्तु ,  शायद  दिनचर्या   में  अनेको ,  बहुत  सारे  
 नित्य  --असली  --गुनी   -व्यवहारों को  निभाते  हुए -- महिलाएं   --स्त्रियाँ  --कुमारियाँ   ...अपने  सपनों   को   साकार --सगुन  --सार्थक  -सक्षम  होते   देखना  चाहेंगी  ...?
और यदि  ... देख रही है की  --भगवान्  को   फूल --फल  -धुप --दीप  समर्पित  कर के   दुआ  -प्रार्थना  पूरी होने   लगती है तो -- सोने पे सुहागा  ... है ना ?

लेकिन , यथार्थ में ... सभी  पुत्रियों के  पिता -- इतने दयालु  ,  विस्तृत  बुद्धि  को बढ़ावा  देने वाले न होते ? 
या ,  सभी  पत्नियों के   पति देव  इतने  --गुनशील --संवेदनशील  न होते  ....
या   सभी  बहनों के  भाई  बहुत   संस्कारी ,  वीरबाहू वाले ,  उच्च  बुद्धि के धीर  न होते  ..? 

ऐसे में    , प्रधान  मंत्री , मुख्या मंत्री ,   राष्ट्रपति  के  ऐसे   बड़े  नेतृत्व-- जन के उदाहरण है -- जिनसे  -- 
हमारे   नित्य --जीवन में   --कुछ  आशा  की किरणे   जगाने   को अभी बहुत से ख्वाब --सपने  बाकी हैं ?

 






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