नव -चेतना के अंकुरित बीज
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उपश्रीजित --आकाश --लाता है सन्देश --नए बादलों के समूह से --वर्षा का आगमन !
भूतले --पृथ्वी के कृशिवान ---धूप में तपती हरियाली के अंक़ुर बोते !
नव--सृजन की अभीप्सा से --उपजे शत -दल औषध के भी होते अंकुर ....
हे किसान अभी से कमर --कस के तैयार हो अनाज को छाटने ....
दिव्य--कृष्ण के गोपाला भी हरदिन --गौमाता की यशोदा की दधि --सींचते ....
बहेंगी --ब्रह्माण्ड की गंगा --से --ओजस --बीज अंकुरित होंगे ?
यहाँ धरा की विधवा माताओं - की लाज भी रखनी --कृष्ण--भक्तों ने ....
क्यूंकि पुलकित सम्बोधि के वीरों ने अध्यात्म--तापस सहज दिया ....
यहाँ धरती की कला--कुलवंत माँ ने भी मृदुल--कथा वाचक को ''यशोदा --धनं --दान दिया ....
इसलिए --सभी की नैना --अँखियाँ --खोजती --उस -कृष्ण के साक्षात्कार को .....!!!
सुमन माँ की वीरांगनाओ ने ---धैर्या--द्रवित हो--रुद्रा के कष्ट को सहा ..सहज ...
अब सावित्र --पुत्रोंमें -माँ दर्शन की मृदु--वागिनी ---माते के भक्तो को देंगी --भोज !!!
आर्य --आर्ष --के विदीश्वर --देवों ने गायत्री माँ की दुविधा में बीजन --पुनः देना होगा ?
नव सृजन --की चेतना सभी --जागृत --ज्योति --पाण्डेय की बलि मत भूलना ....
बहुत --दुखी मन से ---स्त्री -नारी --महिला की आत्मा --रूह अनेको चेतना के बीज लाएगी ?
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उपश्रीजित --आकाश --लाता है सन्देश --नए बादलों के समूह से --वर्षा का आगमन !
भूतले --पृथ्वी के कृशिवान ---धूप में तपती हरियाली के अंक़ुर बोते !
नव--सृजन की अभीप्सा से --उपजे शत -दल औषध के भी होते अंकुर ....
हे किसान अभी से कमर --कस के तैयार हो अनाज को छाटने ....
दिव्य--कृष्ण के गोपाला भी हरदिन --गौमाता की यशोदा की दधि --सींचते ....
बहेंगी --ब्रह्माण्ड की गंगा --से --ओजस --बीज अंकुरित होंगे ?
यहाँ धरा की विधवा माताओं - की लाज भी रखनी --कृष्ण--भक्तों ने ....
क्यूंकि पुलकित सम्बोधि के वीरों ने अध्यात्म--तापस सहज दिया ....
यहाँ धरती की कला--कुलवंत माँ ने भी मृदुल--कथा वाचक को ''यशोदा --धनं --दान दिया ....
इसलिए --सभी की नैना --अँखियाँ --खोजती --उस -कृष्ण के साक्षात्कार को .....!!!
सुमन माँ की वीरांगनाओ ने ---धैर्या--द्रवित हो--रुद्रा के कष्ट को सहा ..सहज ...
अब सावित्र --पुत्रोंमें -माँ दर्शन की मृदु--वागिनी ---माते के भक्तो को देंगी --भोज !!!
आर्य --आर्ष --के विदीश्वर --देवों ने गायत्री माँ की दुविधा में बीजन --पुनः देना होगा ?
नव सृजन --की चेतना सभी --जागृत --ज्योति --पाण्डेय की बलि मत भूलना ....
बहुत --दुखी मन से ---स्त्री -नारी --महिला की आत्मा --रूह अनेको चेतना के बीज लाएगी ?
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