एक सूर्यांश सवित्तुर के प्रगट होने की अभीप्सा है .....
ऐसा दिव्य --आत्माओं ने श्रुत -आह्वान से अनादि -नादेश्वर को पुकारा ..
प्रगट होने के पश्चात ...दिव्य --ज्योत सादृश्य हमारे हृदयों में अति हर्ष ले आये ...
ऐसा वात्सल्य भाव की देवियों ने माँ जगदम्बे से हिरण्यगर्भ को आधार ग्रहण किया ....
पृथ्वी --भू गोलोक के वासुदेव कुटुंब ने दिव्य-पुत्र-पुत्रियों की सुरक्षा के उपाए बुने ....
अन्नपूर्णा माँ से भू -के कृषि -किसानों ने सूर्य -अग्नि अर्चित कर्म संभाले ...
सरस्वती माँ के स्तुति-वृन्द --गान के सुरों में नव -कोंपल -वल्लव्रिभि अवतरित हुएय ...
ब्रह्मचर्य के विद्यार्थियों की उपासना --उपनिषद् स्वाध्याय सत्कृत्य जगे ....
ऐसे दिव्य-आत्मन ...सूर्य- सवित्तुर ...अनादि-निधन विष्णु ....माँ जगदम्बे के सहस्त्र योगिनो
द्वारा ..हमारे भू -गोलोक में प्रवेश हुआ ..उत्तथ्या के शत-सौ सवित्त्र पुत्रों के जन्म ....
लेकिन ...वर्ष --साल पूर्ण होते ही ...महामृत्युंजय शिव की परीक्षा में मृत्यु कोप से भू -गोलोक के अभय --वीरों को भी परीक्षा देनी होगी ?
क्या सुदर्शन -काल चक्र में अभिमन्यु को सही रण -नेति सीखनी होगी ?
वासुदेव --सुतम ..धैवं --कंस चारुण मर्दनम ....
माँ यशोधरा की कन्याकुमारियों को भी ब्रह्मचर्य -व्रत धारण करना होगा ....?
माँ जगदम्बे की शक्ति में भारत के गुरुओं में अग्रिम -पहला ऋग्वेद यज्ञा होम सत्य से पूर्ण हो ?
रामायण के सतयुग के आगमन में माता जानकी वंदन की धरती में प्रकोप भू -वंटन के लिए ?
महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में पले लव -कुश को भी पुरुषोत्तम राम की व्याख्या पुन देना होगा ?
महर्षि औरोबिन्दो के आश्रम में श्री माते के देवों को भी अमर्त्या और मृत्योर्माया --अमृत तत्त्व के मुख से जीतना होगा ...
सावित्री के सौ -शत -पुत्र पिता और ससुर के लिये ...?
वन्दे मातरम् .....क्या माँ के प्यार वात्सल्या --भाव की भी कोई भू -रेखा सीमा में बंधी ?
ऐसा दिव्य --आत्माओं ने श्रुत -आह्वान से अनादि -नादेश्वर को पुकारा ..
प्रगट होने के पश्चात ...दिव्य --ज्योत सादृश्य हमारे हृदयों में अति हर्ष ले आये ...
ऐसा वात्सल्य भाव की देवियों ने माँ जगदम्बे से हिरण्यगर्भ को आधार ग्रहण किया ....
पृथ्वी --भू गोलोक के वासुदेव कुटुंब ने दिव्य-पुत्र-पुत्रियों की सुरक्षा के उपाए बुने ....
अन्नपूर्णा माँ से भू -के कृषि -किसानों ने सूर्य -अग्नि अर्चित कर्म संभाले ...
सरस्वती माँ के स्तुति-वृन्द --गान के सुरों में नव -कोंपल -वल्लव्रिभि अवतरित हुएय ...
ब्रह्मचर्य के विद्यार्थियों की उपासना --उपनिषद् स्वाध्याय सत्कृत्य जगे ....
ऐसे दिव्य-आत्मन ...सूर्य- सवित्तुर ...अनादि-निधन विष्णु ....माँ जगदम्बे के सहस्त्र योगिनो
द्वारा ..हमारे भू -गोलोक में प्रवेश हुआ ..उत्तथ्या के शत-सौ सवित्त्र पुत्रों के जन्म ....
लेकिन ...वर्ष --साल पूर्ण होते ही ...महामृत्युंजय शिव की परीक्षा में मृत्यु कोप से भू -गोलोक के अभय --वीरों को भी परीक्षा देनी होगी ?
क्या सुदर्शन -काल चक्र में अभिमन्यु को सही रण -नेति सीखनी होगी ?
वासुदेव --सुतम ..धैवं --कंस चारुण मर्दनम ....
माँ यशोधरा की कन्याकुमारियों को भी ब्रह्मचर्य -व्रत धारण करना होगा ....?
माँ जगदम्बे की शक्ति में भारत के गुरुओं में अग्रिम -पहला ऋग्वेद यज्ञा होम सत्य से पूर्ण हो ?
रामायण के सतयुग के आगमन में माता जानकी वंदन की धरती में प्रकोप भू -वंटन के लिए ?
महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में पले लव -कुश को भी पुरुषोत्तम राम की व्याख्या पुन देना होगा ?
महर्षि औरोबिन्दो के आश्रम में श्री माते के देवों को भी अमर्त्या और मृत्योर्माया --अमृत तत्त्व के मुख से जीतना होगा ...
सावित्री के सौ -शत -पुत्र पिता और ससुर के लिये ...?
वन्दे मातरम् .....क्या माँ के प्यार वात्सल्या --भाव की भी कोई भू -रेखा सीमा में बंधी ?
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